Indians Demand Boycott of Turkey & Azerbaijan

नमस्ते दोस्तों, वेलकम टू माय चैनल अदितिiti टॉक्स। दिस इज अदिति और आज हम बात करेंगे एक ऐसे मुद्दे पर जो हर देशभक्त भारतीय के लिए मायने रखता है। बॉयकॉट टर्की या अज़र भाईजान। यह सिर्फ एक ट्रेंड नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय भावना है जो हर नागरिक के दिल से निकल रही है। चलिए इसके कारण को समझते हैं। फरवरी 2023 टर्की और सीरिया में आया एक भयानक भूकंप। 55,000 से ज्यादा लोग मारे गए। शेल्टर तबाह हो गए।

और दुनिया में सबसे पहले मदद लेकर कौन आया? इंडिया। इंडिया ने तुरंत शुरू किया ऑपरेशन दोस्त। नाम ही सब कुछ कह रहा है। ऑपरेशन दोस्त में क्या भेजा गया? 3C17 इंडियन एयरफोर्स एयरक्राफ्ट्स 100 प्लस ट्रेन एनडीआरएफ और मेडिकल पर्सनल 25 प्लस टंस ह्यूमेनिटेरियन एड 10 थाउजेंड टेंस और लाखों मेडिकल सप्लाई इंडिया ने एक दोस्तों के जैसा अपना फर्ज निभाया बिना किसी पॉलिटिकल गेन के सिर्फ इंसानियत के लिए 2022 के बाद अज़र भाईजान को फ्लड्स और ह्यूमेनिटेरियन क्राइसिस फेस करना पड़ा। तब भी इंडिया ने हेल्प किया। मेडिकल एड, डिजास्टर रिलीफ और ट्रेड कोऑपरेशन सब कुछ कंटिन्यू रखा।

लेकिन जब भारत को अपने दोस्तों की जरूरत थी ऑपरेशन सिंदूर के वक्त। इन दोनों देशों ने क्या किया? 25th अप्रैल 2025 कश्मीर के पहलगाम एरिया में हुई एक टेररिस्ट अटैक के बाद इंडिया ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइल्स किया अंडर ऑपरेशन सिंधु। उस वक्त जब पूरी दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ खड़ा होना चाहिए था। टर्की और अज़रबजान ने क्या किया? ओपनली सपोर्ट दिया टेररिज्म को। टर्की ने यूएन में कश्मीर पे एंटी इंडिया रेोल्यूशन सपोर्ट किया।

अज़रबजान ने पाकिस्तान के साथ जॉइंट मिलिट्री ड्रिल्स की और टर्की का ड्रोन टेक पाकिस्तान आर्मी के पास है अगेंस्ट इंडियास ओन इंटरेस्ट्स। एक तरफ भारत हेल्प करता है, दूसरी तरफ यह देश टेररिज्म के साथ मिलकर खड़े हैं। यह सिर्फ न्यूट्रल होना नहीं, यह स्ट्रेटेजिक दुश्मनी है। गवर्नमेंट ने कुछ नहीं कहा, लेकिन जनता जाग चुकी है। बॉयकॉट, टर्की हैशटग बॉयकॉट अरबजान ट्रेंड होने लगा सोशल मीडिया पे। इंडियंस ने कहा जो टेररिज्म के खिलाफ नहीं उसे पैसा क्यों दे? यह बॉयकॉट किसी ने ऑर्डर नहीं किया। यह आवाज है उन लोगों की जिन्होंने देखा है कि भारत की इंसानियत का जवाब दोस्ती से नहीं गद्दारी से मिला।

इंडिया ने शब्द नहीं संकेत दिए। डिफेंस इंपोर्टर से बंद ट्रेड डील्स रीवैलुएट हो रहे हैं। कल्चरल एक्सचेंजेस कैंसिल हो रहे हैं। भारत नए सप्लायर्स एक्सप्लोर कर रहा है मिडिल ईस्ट, वियतनाम, अफ्रीका से। क्या बॉयकॉट का असर होगा? बिल्कुल होगा। जब 140 करोड़ की आवाज एक साथ बोलती है तो दुनिया सुनती है। मालदीव्स को याद करो। तीन मिनिस्टर्स ने भारत के खिलाफ बोल दिया और पब्लिक ने टूरिज्म पूरी तरह से बंद कर दिया। रिजल्ट मालदीव्स की इकोनमी हिल गई। आज भी वह भारत की गुड बुक्स में वापस आने के लिए डेस्परेट है। अगर टर्की और अज़रबजान टेररिज्म के अगेंस्ट खड़े नहीं हो सकते तो उन्हें हमारे पैसों से बिजनेस करने का भी हक नहीं होना चाहिए। देखो दोस्तों इंडिया ने इन इंसानियत से दोस्ती निभाई चाहे भूकंप हो या फ्लड्स।

लेकिन जब बात भारत के सम्मान और सुरक्षा की हो तो कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं। यह बॉयकॉट इंडियंस के लिए बोथ इमोशनल और स्ट्रेटेजिक है। अब पब्लिक खुद ही पॉलिसी सेट कर रही है। जो टेररिज्म के खिलाफ नहीं वह हमारे बिजनेस के लायक नहीं। आपका क्या विचार है? क्या टर्की और अज़रबजान डिर्व करते हैं भारत की दोस्ती और बिजनेस दोनों। कमेंट करो।

वॉइस उठाओ और आंख खोलो। मेक श्योर टू लाइक दिस वीडियो, शेयर दिस वीडियो विद योर फेलो फ्रेंड्स एंड सब्सक्राइब टू दिस चैनल ताकि मैं ऐसे कंटेंट और ला पाऊं एंड डू ड्रॉप योर वीडियो सजेशंस इन द कमेंट्स। और इसके बारे में थॉट्स भी आप लोग कमेंट्स में शेयर कर सकते हो। थैंक यू गाइस। मेक श्योर टू लाइक, शेयर एंड सब्सक्राइब। मीटिंग अंटिल नेक्स्ट टाइम। जय हिंद।

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